#लोकसभा_चुनाव ! लेकिन उत्साह, छूमंतर

29 Apr 24 6

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Description
अक्सर सियासी दलों के बीच  आयाराम गयाराम जैसी स्थितियां तो बहुत आम ही होती हैं. 
लेकिन कांग्रेस में तो गयाराम गयाराम जैसे ही हालात लगातार बने हुए हैं.
   मध्यप्रदेश में कमलनाथ तो जाते जाते थम गए लेकिन कद्दावर नेता सुरेश पचौरी,पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल सोनकर सहित कई बड़े छोटे नेता...
वक्त को समझते हुए सरक लिए...
गयाराम की फेहरिस्त में ग्वालियर चंबल क्षेत्र के एक और बड़े नेता..गोविंद सिंह भी अपनी सालो पुरानी पार्टी में असहज हो चले हैं.
 पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा से मुलाकात के बाद ..यह बात और भी हरी हो गई है. ख़ास बात यह है कि खुद गोविन्द सिंह ने अपने गयाराम होने की बात को ..एकदम से खारिज नहीं किया है.  
   वहां भाजपाई सकते में हैं ...बने हालातों के बीच उन्हें यह महसूस होने लगा है कि ..वो मूल पार्टी में नही बल्कि कांग्रेस समर्थित किसी दल का हिस्सा हैं.
     आश्चर्य यह भी है कि कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व या फिर केन्द्रीय नेतृत्व ..दोनों ही अलमस्त हैं. 
 या फिर सोची समझी रणनीति के तहत आराम से कि..चलो विपरीत परिस्थति में कम से कम बोझ तो हल्का हुआ ही सही. 
       मतदाता भी घूमा हुआ है जिसको छोड़..नवीन आशा के साथ दूसरा चुना...अब वो ही उस पहले रंग में रंगना शुरू हो गया है.    तभी कम से कम लोकसभा चुनाव को लेकर कोई भी, किसी तरह का उत्साह ..मतदाताओं के बीच मानो उडनछू सा हो गया है. 
 विडम्बना ही कहिए, विकल्पविहीन स्थिति के चलते न कोई बड़ी आस और उफ्फ ..न ही कोई बदलाव की उम्मीद