बुरे फंसे "शर्मा जी", जीत का इतिहास ना बना तो? उफ्फ, कद का कचरा तय !

08 May 24 6

0 0 0
Loading...
Description
चुनाव में कभी सुना है कि मुकाबले में कोई भी नही लेकिन फिर भी पूरा दम लगाना पड़े..
 उस क्षेत्र में PM को सभा करना पड़े
या फिर उस सीट के उम्मीदवार की सांसे हलक में फंसी हो..

 है..और बिल्कुल ऐसा ही है

  क्योंकि बात सिर्फ जीत को होती तो कुछ भी ना था लेकिन बाबू..
यदि दान में मिली जीत का अंतर इतिहास ना बना पाए तो..
जीत कर भी हार जैसा..समीकरण बनना तय है।

बात..हाई प्रोफाइल सीट खजुराहो की
 बात..इस क्षेत्र से प्रत्याशी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की..
 जी..दूसरे चरण के मतदान में यह लोकसभा क्षेत्र के लिए भी मतदान किया जाना तय है.
     गठबंधन के चलते सीट शेयरिंग में यहां से उम्मीदवारी का मौका कांग्रेस ने छोड़कर..सपा को दिया था..
  सपा ने पहले उम्मीदवार तय किया लेकिन सियासी वजहों के चलते बदलकर नया उम्मीदवार घोषित किया..
विडंबना ही कहिए कि .उस उम्मीदवार का नामांकन तकनीकी कारणों से खारिज हो गया.
  साफ है कि भाजपा के लिए इस सीट पर कब्जा पाने का मौका आसानी से हासिल हो गया.
कोई शक नही कि मुकाबला एक तरफा है लेकिन शर्मा के सामने चुनौती है तो अपनी लोकप्रियता सिद्ध करने की.
  जीत तो तय है लेकिन लाख तीन लाख से हुई तो..इमेज का कचरा होना तय है.
  इसलिए जीत का मार्जिन इतना तगड़ा होना चाहिए कि लोकप्रियता का ग्राफ आसमान फाड़ता हुआ नजर आए.
 एक यही वजह है कि शर्मा की सांसे फूली पड़ी है. चुनावी हर संभव प्रयास जारी हैं. यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी भी अपना जलवा इस क्षेत्र में आम कर चुके हैं.
 साफ है कि शर्मा जी की जीत तो तय लेकिन सियासी कद तो चुनाव परिणामों के हवाले ही है.