माता पिता के लिए अपने बच्चों की शादी के पल सबसे अधिक खुशियों के होते हैं
और हां..एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का अहसास भी..।
इन क्षणों का इंतजार बरसों से होता है और कोई शक नही है कि ...उन पलों को संजोने की..ललक भी..
शादी की रस्मों को निभाना..परिवार संग हंसी ठिठोली में शामिल होना।
विवाह उत्सव की सभी तैयारियों खुद समहलाना..।
ताकि यह समय यादगार बन जाए..।
लेकिन शायद आपको एक बारगी यकीन तो न होगा..।
एक पिता जिसके बेटे का शाम को विवाह हो..और दिन भर अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार होकर जन सेवा के कार्यों में शिद्दत से जुटा हो?
जी...यकीन करिए..
यह हैं..हमारे मप्र के सीएम..मोहन भिया ..
शाम को बेटे की शादी है लेकिन दिन भर अपने फर्ज को प्राथमिकता पर रख..सरकारी काम में जुटे रहे..।
अनावश्यक दिखावे से दूर शादी कार्यक्रम को इतना सादा रखा कि...यह नजीर के तौर पर अंकित सा हो गया
यह देखिए..वो दिनचर्या जो कहती है
(CM ke program)
कि..जिम्मेदारी..प्रथम..
जन सेवा प्रथम..।
सुबह से रोजमर्रा की तरह ही काम जारी रहा।
दौरा किया, निरीक्षण किया..लोगों की परेशानी को सुना और उसका समाधान किया।
सिर्फ इतना ही नीमच पहुंच विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम भी हुआ।
यानी की किसी भी सरकारी कार्यक्रम में कोई तब्दीली नहीं रही।
ऐसा नहीं है कि मोहन भिया विवाह के दायत्व से एक दम बेफिक्र हों.
समय चुराकर...फोन पर कार्यक्मों की जानकारी लेना और साथ ही यह अहसास भी करा जाना कि..भले ही वो शारीकिक रूप से ना हो लेकिन वो अपनी भावनाओं और स्नेह से..मौजूद हैं।
कहां sambh होता है । आजकल।
जहां सत्ता के नाम पर उसका उपभोग करना ही दिखता हो ऐसे में CM मोहन भिया का यह कदम..मिसाल है।
मिसाल है..सुशासन की
मिसाल है..सुचिता की
मिसाल है..एक सच्चे जन सेवक की