चुनाव का तीसरा चरण, BJP के दबदबे वाले क्षेत्र में रण.. शिव,सिंधिया,दिग्गी की साख दांव पर

19 May 24 6

0 0 0
Loading...
Description
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में भोपाल समेत मध्य प्रदेश की नौ संसदीय सीटों पर 7 मई को मतदान होना है। एमपी में तीसरे चरण के लिए 127 दावेदार मैदान में हैं। इन 9 सीटों पर 9 महिला उम्मीदवार हैं। 9 लोकसभा सीटों पर कुल 20 हजार 456 पोलिंग बूथों पर वोटिंग होगी। 
 
तीसरे चरण में एमपी की टों भिंड, मुरैना, ग्वालियर, राजगढ़, भोपाल, विदिशा, गुना, सागर में वोटिंग होनी है। वहीं बैतूल लोकसभा सीट पर भी तीसरे चरण में मतदान होना है। एमपी में लोकसभा चुनाव का यह चरण काफी अहम माना जा रहा है। वजह है इस चरण में हाई प्रेफाइल सीटें गुना, राजगढ़ और विदिशा शामिल हैं, जिनमें दो पूर्व मुख्यमंत्री और एक केंद्रीय मंत्री का भी राजनीतिक कद और साख दांव पर है।
 
इसी चरण में प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी मतदान होना है। भोपाल से बीजेपी ने पूर्व मेयर आलोक शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। भिंड सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फूल सिंह बरैया मैदान में हैं। ग्वालियर में कांग्रेस ने AICC सदस्य  प्रवीण पाठक पर भरोसा जताया है, जबकि बीजेपी ने मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री भरत सिंह कुशवाहा उनके सामने उतारा है। सागर सीट पर मध्यप्रदेश महिला आयोग आयोग की पूर्व चेयरपर्सन लता वानखेड़े BJP की तरफ से चुनाव लड़ रही हैं। 
 
बात करें गुना की तो ज्योतिरादित्य सिंधिया एक बार फिर अपनी पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। सिंधिया 2019 में कांग्रेस के टिकट पर बीजेपी के केपी सिंह से चुनाव हार गये थे। हार से सीख लेते हुए महाराजा बाबू ने इस बार मैदान पर जमकर मेहनत की। उनके साथ उनके बेटे और पत्नी भी चुनाव प्रचार में जुटे रहे।
 
वहीं, कांग्रेस ने सिंधिया परिवार के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी राव यादवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा है। राव 2023 तक बीजेपी में थे। उनके पिता मुंगावली सीट से तीन बार बीजेपी विधायक रहे। यादवेंद्र ने 2023 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर सिंधिया के करीबी बृजेंद्र सिंह के खिलाफ लड़ा है। हालाँकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
 
मध्य प्रदेश में मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान करीब 20 साल बाद फिर से विदिशा से चुनाव लड़ रहे हैं। 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले वह पांच बार यहां से सांसद चुने गये थे। कांग्रेस ने मामा के खिलाफ़ 'दादा' को उतारा है। दरअसल कांग्रेस प्रत्याशी प्रतापभानु सिंह स्थानीय नेता हैं और दादा कहे जाते हैं। भानु यहां से 1980 और 1984 में दो बार सांसद रह चुके हैं। 
राजगढ़ सीट पर करीब 32 साल बाद दिग्विजय सिंह की वापसी हुई है। 1991 में राजा साहब यहां से सांसद बने, लेकिन 1993 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। तब से लेकर 2004 तक इस सीट पर उनके भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों से सांसद रहे। 
 
वहीं, बीजेपी ने दो बार के सांसद रोडमल नागर को तीसरी बार मैदान में उतारा है। पिछले दो चुनाव आसानी से जीतने वाले नागर के लिए चुनौती इस बार कड़ी है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस इतने ताकतवर नेता को मैदान में उतारेगी।  
 
तो बस फिर 7 मई को वोटिंग के बाद इन दिग्गजों की क़िस्मत EVM में क़ैद हो जाएगी। सभी नेता अपनी-अपनी जीत का दम भर रहे हैं। लेकिन जीत और हार का फ़ैसला तो 4 जून को चुनाव परिणाम आने पर ही होगा।
 
 
यहां पर कुल एक करोड़ 77 लाख 52 हजार 583 मतदाता है, ये मतदाता  भी वोटिंग के लिए तैयार हैं.