शुचिता की नज़ीर बनते.. "एमपी के मोहन"

29 Apr 24 6

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Description
सिस्टम बनाने से बनता है

और उसे जिंदा रखने के लिए खुद...नजीर बनना बेहद जरूरी...

नजीर...शुचिता की..
नजीर..सुशासन की..

हालांकि मप्र की मोहन सरकार को महज 60 दिन ही हुए हैं

सिर्फ 60 दिन..

वो दिन जो ,समझने और समझाने में ही गुजर जातें हैं

लेकिन नही ऐसा नही है..

सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने ना सिर्फ एक एक दिन का महत्व समझा..

बल्कि अपने कामकाज में शुचिता को प्राथमिकता देकर..सबके सामने अपनी उपलब्धि की एक बड़ी लकीर खींचने में सफलता हासिल करना शुरू कर दिया।

   ना कोई भाई भतीजावाद..और ना ही परिजनों की सरकारी कामकाज में दखलंदाजी

       यहां तक कि मोहन यादव जरूर मुख्यमंत्री बन चुके हैं लेकिन पूरा परिवार आज भी पहले की तरह ही सादगी से अपना जीवन जी रहा है। 
   सीएम हाउस में रिश्तेदारों का जमावड़ा नही और ना ही सिफारिशों का दौर

    और शायद यही वजह है कि इतने कम समय में..सीएम की झोली में बेदाग बड़ी बड़ी उपलब्धियों की फेहरिस्त है

 आम लोगों के मन में  शुचिता और सुशासन वाली सरकार की बात और दृढ़ हुई है

    नए सीएम की कार्यशैली के चलते अफसर हो या कर्मचारी..सभी के मन में बस एक ही ख्याल पनपा है। और वो है...सेवा का संकल्प..

        लालफीताशाही पर लगाम हो या फिर आम जनहित के मुद्दो को मिलती प्राथमिकता..साफ कहती है कि..
मोहन..जन का मन में उतरने में बेहद कामयाब साबित हो रहे हैं