#सिंधिया के गढ़ में खिलेगा कमल, या मिलेगा #कांग्रेस का साथ

19 May 24 6

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Description
मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ रही है। ग्वालियर के बाद गुना ही वो सीट है जहां से राजमाता विजयराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं।
 
इस सीट पर कांग्रेस में रहते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 4 चुनावों में जीत हासिल की है। 2019 के आम चुनाव में मोदी लहर में सिंधिया गुना सीट से अपना चुनाव हार गए थे। उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। सिंधिया को बीजेपी के पी यादव ने हराया था।
2001 में माधवराव सिंधिया के निधन के बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 में यहां से उपचुनाव लड़ा और अपना पहला चुनाव जीता। इसके बाद से गुना सीट सिंधिया परिवार के ही कब्ज़े में रही। 
 
गुना लोकसभा सीट ज्यादातर कांग्रेस के पास ही रही। कांग्रेस यहां 9 बार जीत चुकी है, जबकि बीजेपी ने 4 बार और जनसंघ ने एक बार जीत हासिल की है। यह सीट बीजेपी को तभी मिली जब विजयराज सिंधिया ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा।
 
विजयराज सिंधिया के बाद साल 2019 में बीजेपी के के. पी. यादव केवल एक बार ही चुनाव जीत सके। गुना लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं। यहां शिवपुरी, बमोरी, चंदेरी, पिछोर, गुना, मुंगावली, कोलारस, अशोक नगर विधानसभा सीटें हैं। यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 4 बीजेपी और 4 कांग्रेस के पास हैं।
 
गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट पर हमेशा से ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। इस बार सिंधिया बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। इस बार के आम चुनाव में बीजेपी ने वर्तमान सांसद डॉ. के.पी. यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य  सिंधिया को उनकी पारंपरिक सीट से मैदान में उतारा है। 
वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनाव की बीजेपी की ही रणनीति अपनाते हुए यादव उम्मीदवार को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया। कांग्रेस प्रत्याशी यादवेंद्र सिंह यादव अशोकनगर ज़िले से आते हैं जहां यादव मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
 
गुना सीट जीतने के लिए सिंधिया के साथ उनका पूरा परिवार भी प्रचार कर रहा है। पिछले बार की हार का दर्द सिंधिया ही नहीं उनके पूरे परिवार को साल जाता है। अब इस बार के आम चुनाव में सिंधिया का तीर निशाने पर लगता है या नहीं ये तो 4 जून को चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा।