नर्मदापुरम का सियासी गणित, क्या BJP लगाएगी हैट्रिक या कांग्रेस को मिलेगी खोई ज़मीन ?

07 May 24 6

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Description
होशंगाबाद यानि कि नर्मदापुरम प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। होशंगाबाद लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के नर्मदा आश्रित लोगों के लिए बेहद अहम है। इस क्षेत्र के अधिकांश किसान नर्मदा जल पर निर्भर हैंशहर सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरा हुआ है और बेहद खूबसूरत है। यहां नर्मदा के कई घाट हैं जहां हजारों श्रद्धालु जाते हैं। 
शहर का इतिहास आदिमानव से शुरू होता है, जी हाँ, आदिमानव यहाँ रहता था, इसका प्रमाण यहाँ की प्राचीन गुफाओं में बने शैलचित्रों से मिलता है, जो आज भी यहां कुले आसमान के नीचे मौजूद हैं। इसके बाद मालवा क्षेत्र के दूसरे राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी ने पंद्रहवीं शताब्दी में इस शहर की स्थापना की। उन्हीं के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद रखा गया, जिसे अब बदलकर नर्मदापुरम कर दिया गया है। 
 
यह शहर सोयाबीन के प्रमुख उत्पादकों में से एक है। इस भूमि के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस कागज पर रुपये छपते हैं वह फैक्ट्री भी इसी जिले में स्थापित है। सांस्कृतिक रूप से यह क्षेत्र काफी समृद्ध है। 
क्षेत्रीय राजनीति की बात करें तो यहां सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस का ही वोट बैंक है। अन्य पार्टियों की यहां कोई खास मौजूदगी नहीं है। होशंगाबाद लोकसभा सीट के लिए पहला चुनाव साल 1951 में हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस के सैयद अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार एचवी कामथ को हराया था।
 
1989 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार यह सीट जीती थी। सरताज सिंह ने दो बार के कांग्रेस सांसद रामेश्वर नीखरा को हराया। इसके बाद सरताज सिंह ने 1991, 1996 और 1998 का चुनाव भी जीता।
होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. यहां की विधानसभा सीटें नरसिंहपुर, सिवनी-मालवा, पिपरिया, तेंदूखेड़ा, होशंगाबाद, उदयपुरा, गाडरवारा, सोहागपुर हैं।
आपको बता दें कि इन सभी आठ विधानसभाओं पर फिलहाल बीजेपी का कब्जा है। लोकसभा की बात करें तो उदय प्रताप सिंह 2009 से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं। उदय प्रताप पहली बार 2009 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुने गए थे। जिसके बाद वह बीजेपी में शामिल हो गए और फिलहाल वह बीजेपी के टिकट पर 2014 और 2019 का चुनाव जीत चुके हैं।
 
नर्मदापुरम सीट जीतना किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं है। यहां जीत और हार में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। मौजूदा समीकरण के मुताबिक, बीजेपी हैट्रिक लगाने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस अपनी खोई ज़मीन की तलाश रही है।
 
पिछले चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने कांग्रेस को हरा दिया था। इस बार भी चुनाव स्थानीय मुद्दों पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जा रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने के बाद बीजेपी तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने की तैयारी में है। इसलिए, कांग्रेस के पास इस सीट पर खोने के लिए कुछ नहीं है, बल्कि हासिल करने के लिए पूरी चुनावी जमीन है।
कांग्रेस ने नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा से दो बार विधायक रहे संजय शर्मा को नर्मदापुरम से अपना उम्मीदवार बनाया है। संजय शर्मा तेंदूखेड़ा से बीजेपी और कांग्रेस से एक-एक बार विधायक रह चुके हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार हुई थी। कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए उनका नाम फाइनल किया है। आपको बता दें कि संजय शर्मा पूर्व में नर्मदापुरम, नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र के चुनाव प्रभारी भी रह चुके हैं। संजय शर्मा कांग्रेस पार्टी के इलाके के अग्रणी नेता माने जाते हैं।
 
वहीं बीजेपी ने होशंगाबाद नरसिंहपुर सीट से किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। तब से चौधरी लगातार लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इस सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होगा।