मध्यप्रदेश की सरकार लगातार कर्ज के बोझ के तले दबती जा रही है।
हालात यह है कि कर्ज का ग्राफ बढ़कर 52.5 हजार करोड़ की सीमा को टच करने वाला है।
मोहन सरकार सिर्फ दिसंबर साल 2023 से लेकर दिसंबर 24 तक 47.5 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है और अब 5 हजार करोड़ का कर्ज और लेने की तैयारी हो चुकी है।
मप्र सरकार ने आरबीआई के हवाले से सिक्योरिटी बेचकर दो किश्तों में पांच हजार करोड़ के कर्ज मांग का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
कुल जमा अब यह कर्ज 4 लाख करोड़ से अधिक पहुंच जायेगा।
बीते छह माह में हर महीने सरकार पांच पांच हजार करोड़ का कर्ज अपने ऊपर लाद रही है।
हालांकि सरकार का तर्क है कि विकास, जनहित के कार्यों के चलते यह कर्ज लिया जा रहा है,
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अनावश्यक खर्चों, बड़े बड़े तामझाम के साथ होने वाले आयोजकों, सरकार के नुमाइंदों के लिए जाने वाले खर्चों को कमी क्यों नहीं की जा रही।
उसके अतिरिक्त आय के साधनों को और अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
खैर सरकार फिलहाल सरकार अपने तर्क पर चढ़कर कर्ज लेकर घी पीने के दिशा अधिक गंभीर दिखती है, जिसके चलते परिणाम उफ्फ..