चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन देवी स्कंदमाता की पूजा, जानिए मंत्र, स्वरूप और महत्व

06 May 24 6

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Description
नवरात्रि का पांचवा दिन स्कंदमाता को समर्पित है और मां के इस रूप को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। शिव और शक्ति के मिलन से स्कंद का जन्म हुआ इसलिए माता के पांचवें स्वरूप का नाम स्कंदमाता है। प्रेम और स्नेह की प्रतिमूर्ति स्कंदमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है और माता बच्चों को दीर्घायु प्रदान करती हैं।
भगवती पुराण में स्कंद माता के बारे में कहा गया है कि नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंद माता की पूजा करने से ज्ञान और शुभ फल की प्राप्ति होती है। माता ज्ञान, इच्छा और क्रिया का मिश्रण है। जब शिव तत्व शक्ति से संयुक्त होते हैं तो स्कंद यानी कार्तिकेय का जन्म होता है। 
 
माँ स्कंदिमाता स्वामी कार्तिकेय के साथ सिंह पर विराजमान चार भुजाओं वाली देवी हैं। माता के दोनों हाथों में कमल शोभायमान है। इस रूप में मां को विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है, जो ज्ञान, विज्ञान, धर्म, काम और कृषि उद्योग सहित पांच कोशों से ढकी हुई हैं। माँ का मुख सूर्य के समान उज्ज्वल है। स्कंदमाता की पूजा में धनुष-बाण चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।
स्कंदमाता को पीली वस्तुएं प्रिय हैं। इसलिए उन्हें पीले फल और पीली मिठाई अर्पित की जाती है। इस दिन आप अपनी मां के लिए केसर की खीर भी बना सकते हैं। ज्ञान और शक्ति के लिए मां को 5 हरी इलायची और एक जोड़ा लौंग भी अर्पित की जाती है।
 
माता की पूजा में पीले या सुनहरे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। मां को पीले फूलों से सजाएं और मां को सुनहरे वस्त्र अर्पित करें और पीले फल का भोग लगाएं। पीला रंग सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है और मां को इस रूप में देखने से मन को शांति मिलती है।
मां स्कंादमाता का पूजा मंत्र

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।