बेजुबान का प्रेम ! अर्थी के साथ चली गौमाता

06 May 24 6

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Description
प्रकृति ने सभी को जीवन दिया है। सभी की रचना भी बड़े ही अलग ढंग से की है। इनमें सबसे बुद्धिमान प्राणी है मनुष्य। सभी की संरचना भले ही अलग हो, लेकिन हर एक पेड़-पौधे और जीव-जंतु में जान होती है और मनुष्यों की तरह ही भावनाएं भी, जिन्हें वो कभी न कभी दिखाते भी हैं।
ऐसा ही किस्सा सागर के खिमलासा से सामने आया है। यहां एक गौमाता अपनी भावनाओं को न रोक सकी और अपना ध्यान रखने वाले बुजुर्ग की अंतिम यात्रा में अर्थी के साथ-साथ चलती रही।
जानकर आप भी चौंक गए ना। 
चलिए हम आपको पूरी बात बताते हैं। दरअसल खिमलासा में एक बुजुर्ग महीप सिंह यादव का निधन हो गया।
सैकड़ों लोग उनकी अंतिम यात्रा का हिस्सा बने। 
लेकिन सभी के अचरज की सीमा न रही जब सैंकड़ों लोगों के साथ-साथ एक गाय अंतिम यात्रा में घर से शामशन तक गई। 
गौ माता की आंखों से लगातार आंसू बहते रहे। बेजुबान गाय बोल तो ना सकी, लेकिन उसके आंसुओं ने सारी कहानी कह डाली।
दरअसल महीप दादा मिलनसार थे और पशुओं से बड़ा प्रेम रखते थे। जब गौ माता को बुजुर्ग दादा के निधन का आभास हुआ तो वह आंखों में आंसू  लिए मृतक महीप दादा के घर पहुंची। 
इतना ही नहीं गौ माता अंतिम यात्रा में भी साथ-साथ चली और बीच-बीच में कई बार महीप दादा की चिता की परिक्रमा भी की।

आंखों से झरझर आंसू बहाती गौ माता को वहां मौजूद लोगों ने खूब प्यार दिया। जैसे ही महीप दादा की चिता को अग्नि दी गई इसके बाद गाय माता सभी लोगों के साथ घर लोट आई।
गौ माता के इस कदम की काफी चर्चा हो रही है, कहा जा रहा है, कि मृतक और गाय का क्या नाता हो सकता है।
ये नाता है प्रेम का, ममता का और अपनेपन का। जिस तरह से हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। गौमाता ने भी बुजुर्ग के लिए अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।