हाल ही में मोदी सरकार ने अपनी तीसरी पारी शुरू की है.
लेकिन इस बार सब आसान नहीं है ..
पहले तो मिलीजुली सरकार बनने की कसक और फिर मजबूत विपक्ष के तीखे तेवर..
वही नए कानूनों को लेकर उठा तूफ़ान ..और गले की हड्डी बन गया है.
भारत में एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं. लेकिन इन कानूनों को लेकर विरोध भी तेजी से बढ़ने लगा है ...सडको पर फैसले के खिलाफ आवाज उठाने के साथ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालकर एक्सपर्ट कमेटी गठित करने की मांग की गई है.
सरकार ने भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन करने और पुराने पड़ चुके कानूनों को समाप्त करने के उद्देश्य से 17वीं लोकसभा में पारित तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता को एक जुलाई 24 से लागू करने का फैसला लिया है .
लेकिन लागू होने से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में अंजले पटेल और छाया मिश्रा ने अपनी याचिका में मांग की है कि तीनों कानूनों को लागू करने से पहले एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया जाए. इस कमेटी से पहले इसका विस्तृत अध्ययन कराया जाए.
याचिका में कहा गया है कि तीनों कानूनों को संसद में विस्तृत बहस या ठोस चर्चा के बिना पारित कर दिया गया, उस दौरान विपक्ष के दर्जनों सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. याचिका में कहा गया है, "संसद में विधेयकों का पारित होना अनियमित था, क्योंकि कई सांसदों को निलंबित कर दिया गया था. विधेयकों के पारित होने में सदस्यों की भागीदारी बहुत कम थी."
याचिका में तर्क दिया गया कि नए कानून अस्पष्ट हैं, जमानत विरोधी हैं, पुलिस को व्यापक शक्तियां प्रदान करते हैं