मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों में से बुंदेलखण्ड की दमोह लोकसभा सीट बेहद अहम है। 1989 के बाद से 2019 तक इस लोकसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। इस लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो इसका गठन पहली बार 1962 में हुआ था। यह लोकसभा सीट अपने ऐतिहासिक गौरव के लिए भी जानी जाती है।
दमोह लोकसभा सीट पर कुल 17.69 लाख मतदाता हैं। इस लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण पर नजर डालें तो लोधी और कुर्मी समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावी हैं। दोनों के पास बहुत अच्छा वोटबैंक है। ब्राह्मण वोट बैंक तीसरे स्थान पर है। 1989 से लगातार बीजेपी यहां जीतती आ रही है। 35 साल से यहां की जनता ने पंजे को ठेंगा दिखाते हुए इस सीट पर कमल ही खिलाया है।
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से प्रह्लाद पटेल को मैदान में उतारा। 2019 के चुनाव में प्रह्लाद पटेल को 60% वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे प्रताप सिंह लोधी को 30% वोटों से संतोष करना पड़ा था।
दमोह लोकसभा सीट में देवी, रहली, बंडा, मलहरा, पथरिया, दमोह, जबेरा, हटा समेत आठ विधानसभाएं शामिल हैं। इन सभी विधानसभा सीटों में एक को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।
2024 के लोकसभा चुनाव में बुंदेलखंड की दमोह लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। जो कभी करीबी दोस्त हुआ करते थे आज चुनावी मैदान में कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में आमने-सामने हैं। कभी कांग्रेस में रहे बीजेपी प्रत्याशी राहुल लोधी अब दल बदल कर बीजेपी में शामिल हो गए।
वहीं, कांग्रेस ने इस चुनाव में तरबर सिंह लोधी को अपना उम्मीदवार बनाया है। दमोह लोकसभा सीट: दमोह लोकसभा सीट की लड़ाई 'बिकाऊ-टिकाऊ' पर आ गई है। जी हां बुंदेलखंड की दमोह लोकसभा सीट पर बिकाऊ-टिकाऊ का मुद्दा गूंज रहा है।
कांग्रेस अपने लोकसभा प्रत्याशी तरबर सिंह लोधी को टिकाऊ और मिस्टर डिपेंडेबल बता रही है। तो वहीं बीजेपी प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी को बिकाऊ बता रही है।
हैरानी की बात ये है कि बीजेपी प्रत्याशी राहुल लोधी 2018 में कांग्रेस के टिकट पर दमोह से विधानसभा पहुंचे। उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री जयंत मलैया को हराया था, लेकिन 2020 में वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये।
दमोह सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच जुबानी जंग भी जारी है। राहुल सिंह लोधी जो कभी कांग्रेसी हुआ करते थे अब बीजेपी के साथ हैं। इसलिए कांग्रेस उन्हें बिकाऊ उम्मीदवार बता रही है। कांग्रेस इस मुद्दे पर आक्रामक नजर आ रही है।
दमोह लोकसभा सीट पर वैसे भी जातीय समीकरण के आधार पर उम्मीदवार तय किये जाते रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही लोधी समाज से उम्मीदवार उतारे है। इसके चलते मुक़ाबला और भी दिलचस्प बन पड़ा है क्योंकि दोनों ही उम्मीदवारों की जाति भी एक ही है। यहां 'लोधी' मतदाता गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।