#MP सरकार ने पार की कर्ज लिमिट, केंद्र सरकार तय करेगी उधारी

19 May 24 6

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मध्य प्रदेश की मोहन सरकार को एक बड़ा झटका लगता दिख रहा है। सरकार अब चालू वित्तीय वर्ष में नया कर्ज नहीं ले सकेगी। 
जब नया कर्जा प्रदेश की मोहन सरकार को नहीं मिलेगा तो लाड़ली बहना समेत सरकार की तमाम योजनाएं भी खटाई में पड़ जाएंगी से में अब प्रदेश की मोहन सरकार सके सामने किं कर्तव्य विमूढ़ की सी स्थिति बनती दिख रही है।
 
नया कर्ज लेने के लिए केंद्र सरकार राज्य की GDP की सीमा तय करेगी, इसी के आधार पर राज्य सरकार किसी भी प्रकार का ऋण ले सकती है। 
एमपी की मोहन सरकार पर कर्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। शिवराज सरकार से लेकर मोहन सरकार तक हर महीने कर्ज के तौर पर बड़ी राशि उधार ले रही है। नई-नवेली मोहन सरकार केंद्र से 4 बार कर्जा ले चुकी है। पिछले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव के बाद बनी नई सरकार को विरासत में 3.5 लाख करोड़ रुपए का ऋण मिला और नवंबर से मार्च तक नई सरकार ने 17,500 करोड़ का नया कर्ज लिया।
 
राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह शुद्ध उधार सीमा तय करने के लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। जिसके आधार पर केंद्र सरकार शुद्ध उधार की सीमा प्रदेश सरकार के लिए तय कर सकती है। 
अधिकारियों को उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में जवाब मिल जाएगा, जिसके बाद राज्य सरकार नए वित्तीय वर्ष में पहला कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि इस साल राज्य की शुद्ध उधार सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी और यह 45,000 करोड़ रुपये के आसपास रहेगी।
 
राज्य सरकारें जब अपनी योजनाओं के वित्त पोषण के लिए केंद्र सरकार से कर्जा लेती है, तो उसके संबंध में संविधान क्या कहाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 के अनुसार, यदि केंद्र किसी राज्य को ऋण देता है और उस ऋण का कुछ हिस्सा राज्य सरकार पर बकाया है, तो वह राज्य भारत सरकार की सहमति के बिना कोई ऋण नहीं ले सकता है। 
अब देखा जाए तो कर्जे को लेकर प्रदेश सरकार की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। अब इस पर केंद्र सरकार इंटरवीन करेगी और उधारी की सीमा तय करेगी।